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अश्वं नैव गजं नैव  व्याघ्रं  नैव च नैव च  | अजापुत्रं  बलिं  दद्याद्देवो  दुर्बलघातकः   ||                     -  सुभाषित रत्नाकर (स्फुट) भावार्थ -   देवता को घोडे की  नहीं , हाथी की  नहीं और व्याघ्र  की भी बलि नहीं दी जाती है और केवल  बेचारे बकरे की ही बलि दी जाती है  |  सचमुच देवता भी  दुर्बल प्राणी के लिये ही घातक सिद्ध होते हैं | Ashvaam  naiva  gajam  naiva vyaaghram naiva  cha. naiva cha. Ajaaputram  balim dadyaaddevo  dutrbala-ghaatakah. Ashvam = a horse.   Naiva =no.    Gajam = an  elephantt. Vyaghram = a tiger.    Aajaputram = son of a  she-goat. Balim = sacrificing an animal as an offering  to God. Dadyaaddevo = dadyaat + devo.    Dadyaat =is given. Devo = the God.    Durbala = weak.   Ghatakah = deadly. i.e.   For animal sacrifice to please the God neither a horse or an elephant, nor a tiger is chosen and only a poor he-goat  is chosen. Truly, even the God proves to be deadly for a meek  living being.