अग्निशेषम् ऋणशेषम् शत्रुशेषम् तथैव च |
पुन: पुन: प्रवर्धेत तस्मात् शेषम् न कारयेत् ||
अग्नि=आग = fire शेषम् = बचा हुआ =remnant of
ऋण =क़र्ज=debt शेषम् = बचा हुआ =remnant of
शत्रु =दुश्मन्।=r enemy शेषम् = बचा हुआ=remnant of
तथैव च = सब समान हैं= are similar
पुन: पुन: = बार बार = again and again
प्रवर्धेत = बड़ते ही रहतें हैं= will keep growing
तस्मात् = इसलिये = therefore
शेषम् = इन्हें = these बचा हुआ=remnant of
न कारयेत् = न छोड़े = never left
यदि कोई आग, ऋण, या शत्रु अल्प मात्रा अथवा न्यूनतम सीमा तक भी अस्तित्व में बचा रहेगा तो बार बार बढ़ेगा ; अत: इन्हें थोड़ा सा भी बचा नही रहने देना चाहिए । इन तीनों को सम्पूर्ण रूप से समाप्त ही कर डालना चाहिए।
If a fire, a debt, or an enemy continues to exist even to a small extent, they will grow again and again; so do not let any one of these remain and eliminate them completely =
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